
ज्योतिष के अनुसार जब शनि देव किसी भी राशि के चंद्रमा से 12वें, 1वें और 2वें भाव में गोचर करते हैं, तो यह समय “साढ़े साती” कहलाता है। साढ़े साती कुल 7 साल 6 महीने (ढाई साल × 3 चरण) का होता है। वृषभ राशि पर साढ़े साती का दुष्प्रभाव कम होता है, क्योंकि वृषभ राशि के स्वामी शुक्र है, जो शनि के मित्र ग्रह है और सुख, प्रेम, कला, विवाह का कारक माना जाता है। जिससे वृष राशि वालों के लिए साढ़े साती का समय कम चुनौती पूर्ण होता है।
इस लेख में हम वृष राशि पर साढ़े साती के तीनों चरणों को सरल भाषा में समझेंगे – कौन कौन सी चुनौतियां सामने आ सकती है, क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए।
वृषभ राशि साढ़े साती 2025 वर्तमान स्थिति
30 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में गोचर करेगा, जो वृषभ राशि के लिए 11वां भाव होगा। 11 भाव में शनि का गोचर विशेष रूप से शुभ होता है। इस गोचर से अधिकारियों से संबंध मजबूत होंगे, नौकरी में पदोन्नति, व्यापार में सफलता, लंबी यात्रा से कार्य में सफलता, धन का आगमन तथा अटके कार्य पूरे होंगे। हालांकि, इस काल में शिक्षा संबंधी कुछ रुकावटें तथा संतान संबंधी चिताएं हो सकती है। जातक को शनि को खुश करने के उपाय करना चाहिए।
राशि: वृषभ राशि साढ़े साती 2025 से 2116
नोट: तीसरे कॉलम में शनि राशि की स्थिति को बताया गया है, जो शनि साढ़े साती के समय रहेगी।
क्रम संख्या | साढे साती/ पनौती | शनि राशि | आरंभ तिथि | समाप्ति तिथि | चरण |
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1 | साढ़े साती | मेष | शनिवार, अप्रैल 18, 1998 | मंगलवार, जून 6, 2000 | उदय |
2 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, जून 7, 2000 | सोमवार, जुलाई 22, 2002 | शिखर |
3 | साढ़े साती | मिथुन | मंगलवार, जुलाई 23, 2002 | बुधवार, जनवरी 8, 2003 | अस्त |
4 | साढ़े साती | वृष | गुरुवार, जनवरी 9, 2003 | सोमवार, अप्रैल 7, 2003 | शिखर |
5 | साढ़े साती | मिथुन | मंगलवार, अप्रैल 8, 2003 | रविवार, सितम्बर 5, 2004 | अस्त |
6 | साढ़े साती | मिथुन | शुक्रवार, जनवरी 14, 2005 | बुधवार, मई 25, 2005 | अस्त |
7 | छोटी पनौती | सिंह | बुधवार, नवम्बर 1, 2006 | बुधवार, जनवरी 10, 2007 | |
8 | छोटी पनौती | सिंह | सोमवार, जुलाई 16, 2007 | बुधवार, सितम्बर 9, 2009 | |
9 | छोटी पनौती | धनु | शुक्रवार, जनवरी 27, 2017 | मंगलवार, जून 20, 2017 | |
10 | छोटी पनौती | धनु | शुक्रवार, अक्टूबर 27, 2017 | गुरुवार, जनवरी 23, 2020 | |
11 | साढ़े साती | मेष | गुरुवार, जून 3, 2027 | मंगलवार, अक्टूबर 19, 2027 | उदय |
12 | साढ़े साती | मेष | गुरुवार, फ़रवरी 24, 2028 | मंगलवार, अगस्त 7, 2029 | उदय |
13 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, अगस्त 8, 2029 | शुक्रवार, अक्टूबर 5, 2029 | शिखर |
14 | साढ़े साती | मेष | शनिवार, अक्टूबर 6, 2029 | मंगलवार, अप्रैल 16, 2030 | उदय |
15 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, अप्रैल 17, 2030 | रविवार, मई 30, 2032 | शिखर |
16 | साढ़े साती | मिथुन | सोमवार, मई 31, 2032 | बुधवार, जुलाई 12, 2034 | अस्त |
17 | छोटी पनौती | सिंह | गुरुवार, अगस्त 28, 2036 | शुक्रवार, अक्टूबर 22, 2038 | |
18 | छोटी पनौती | सिंह | बुधवार, अप्रैल 6, 2039 | मंगलवार, जुलाई 12, 2039 | |
19 | छोटी पनौती | धनु | शनिवार, दिसम्बर 8, 2046 | शनिवार, मार्च 6, 2049 | |
20 | छोटी पनौती | धनु | शनिवार, जुलाई 10, 2049 | शुक्रवार, दिसम्बर 3, 2049 | |
21 | साढ़े साती | मेष | शनिवार, अप्रैल 7, 2057 | मंगलवार, मई 27, 2059 | उदय |
22 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, मई 28, 2059 | रविवार, जुलाई 10, 2061 | शिखर |
23 | साढ़े साती | मिथुन | सोमवार, जुलाई 11, 2061 | सोमवार, फ़रवरी 13, 2062 | अस्त |
24 | साढ़े साती | वृष | मंगलवार, फ़रवरी 14, 2062 | सोमवार, मार्च 6, 2062 | शिखर |
25 | साढ़े साती | मिथुन | मंगलवार, मार्च 7, 2062 | गुरुवार, अगस्त 23, 2063 | अस्त |
26 | साढ़े साती | मिथुन | बुधवार, फ़रवरी 6, 2064 | शुक्रवार, मई 9, 2064 | अस्त |
27 | छोटी पनौती | सिंह | मंगलवार, अक्टूबर 13, 2065 | बुधवार, फ़रवरी 3, 2066 | |
28 | छोटी पनौती | सिंह | शनिवार, जुलाई 3, 2066 | बुधवार, अगस्त 29, 2068 | |
29 | छोटी पनौती | धनु | शुक्रवार, जनवरी 17, 2076 | शुक्रवार, जुलाई 10, 2076 | |
30 | छोटी पनौती | धनु | सोमवार, अक्टूबर 12, 2076 | शनिवार, जनवरी 14, 2079 | |
31 | साढ़े साती | मेष | बुधवार, मई 22, 2086 | शनिवार, नवम्बर 9, 2086 | उदय |
32 | साढ़े साती | मेष | शनिवार, फ़रवरी 8, 2087 | शनिवार, जुलाई 17, 2088 | उदय |
33 | साढ़े साती | वृष | रविवार, जुलाई 18, 2088 | शनिवार, अक्टूबर 30, 2088 | शिखर |
34 | साढ़े साती | मेष | रविवार, अक्टूबर 31, 2088 | मंगलवार, अप्रैल 5, 2089 | उदय |
35 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, अप्रैल 6, 2089 | सोमवार, सितम्बर 18, 2090 | शिखर |
36 | साढ़े साती | मिथुन | मंगलवार, सितम्बर 19, 2090 | मंगलवार, अक्टूबर 24, 2090 | अस्त |
37 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, अक्टूबर 25, 2090 | रविवार, मई 20, 2091 | शिखर |
38 | साढ़े साती | मिथुन | सोमवार, मई 21, 2091 | गुरुवार, जुलाई 2, 2093 | अस्त |
39 | छोटी पनौती | सिंह | शुक्रवार, अगस्त 19, 2095 | शुक्रवार, अक्टूबर 11, 2097 | |
40 | छोटी पनौती | सिंह | शनिवार, मई 3, 2098 | गुरुवार, जून 19, 2098 | |
41 | छोटी पनौती | धनु | सोमवार, नवम्बर 30, 2105 | शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2108 | |
42 | छोटी पनौती | धनु | रविवार, जुलाई 29, 2108 | गुरुवार, नवम्बर 22, 2108 | |
43 | साढ़े साती | मेष | सोमवार, मार्च 30, 2116 | बुधवार, मई 18, 2118 | उदय |
साढ़े साती का पहला चरण – उदय चरण
इस चरण में शनि आपकी चंद्र राशि से 12वें भाव में मेष राशि में गोचर करेगा। यह साढ़े साती का आरम्भिक चरण होता है जिसे उदय चरण भी कहते है। इस समय आपको अनावश्यक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं, आर्थिक नुकसान और गुप्त शत्रुओं से परेशानी हो सकती है। परिवार और कार्यस्थल दोनों जगह तनाव की स्थिति बन सकती है। इस काल में आपको तनाव, डिप्रेशन, क्रोध जैसी मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इस ढाई साल में कभी कभी स्वास्थ संबंधी कठिनाइयों (जैसे आंखों संबंधी समस्या, नींद संबंधी समस्या) का सामना करना पड़ सकता है। मेष राशि का स्वामी मंगल होते है जिनका स्वभाव शनि के विपरीत और शत्रु ग्रह है, जिससे वृषभ राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण कठिन साबित होता है।
क्या करें:
- खर्चों पर नियंत्रण रखें।
- जोखिम भरे निर्णयों से बचें।
- मेहनत को अपना हथियार बनाएं।
- धैर्य रखे और सही समय का इंतजार करे।
- खाद्य पदार्थ का दान करे।
साढ़े साती का दूसरा चरण – शिखर चरण
जब शनि आपकी चंद्र राशि (पहले भाव) में गोचर करता है तो साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ होता है जिसे शिखर चरण भी कहते है। यह सबसे कठिन चरण होता है लेकिन वृष राशि के लिए यह चरण सकारात्मक होगा, क्योंकि शनि अब आपकी जन्म राशि (वृषभ) में गोचर करता है। जिसका इसके स्वामी ग्रह शुक्र से मैत्रीपूर्ण संबंध है। यह काल जातक के लिए अपेक्षाकृत लाभदायक और कम कष्टदाई होगा। जातक को आर्थिक लाभ, आय में वृद्धि, जीवन शैली में सकारात्मक वृद्धि, राजनीति से जुड़े लोगों के लिए सकारात्मक अवधि साबित होगा। इस समय आपके जाएं में वृद्धि होगी और आप जान अर्जित करना चाहेंगे। इस चरण में शनि जन्म के चंद्रमा के साथ होता है, जिससे थोड़ी बहुत स्वास्थ और घरेलू समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
क्या करें:
- मानसिक शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए नियमित योग और ध्यान करें।
- स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और व्यायाम अवश्य करे।
- दूसरों की बातों से जल्दी आवेशित न हों।
- इस समय धैर्य रखे और संतोषपूर्वक स्थिति को समझने की कोशिश करे।
- शनि मंत्र का जाप या शनिवार को दान करें।
- अपने रिलेशन के प्रति ज्यादा सचेत रहे और किसी भी गलतफहमी को बात कर सुलझाए।
साढ़े साती का तीसरा चरण – अस्त चरण
यह साढ़े साती का अंतिम चरण होगा जिससे इसे अस्त चरण भी कहते है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्र से दूसरे भाव में यानी मिथुन राशि में गोचर करेगा, यह चरण भी वृष राशि के लिए सकारात्मक रहेगा क्योंकि मिथुन के स्वामी बुध है जो शनि के मित्र हैं, जिससे ऊर्जा थोड़ी संतुलित होती है। बुध बुद्धि और संचार का ग्रह है जिससे शनि बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेने में सहायक होता है। खर्च बढ़ सकते हैं और पारिवारिक मतभेद हो सकते। यह काल खंड में मन की शांति की कमी और मानसिक परेशानी हो सकती है। इस काल में अचानक वित्तीय हानि का सामना करना पड़ सकता है। विद्यार्थियों के लिए यह नकारात्मक प्रभाव डालेगा इसलिए विद्यार्थी को थोड़े और परिश्रम करना चाहिए, ताकि वो अपनी पिछली स्थिति बनाए रख सके।
क्या करें:
- अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें।
- फिजूल खर्च से बचें।
- मन और स्वभाव को शांत रखने के लिए योग और ध्यान करे।
- अपने परिवार और रिश्तों में समरसता और स्पष्टता बनाए रखें।
- वाहन सावधानी से चलाएं और जोखिम से बचें।
- मांस मदिरा के सेवन से बचे।
- शनि को प्रसन्न करने के उपाय करे।
मेष राशि साढ़े साती के लिए शुभ उपाय:
- शनिवार को काली उड़द, तिल या लोहे से बनी वस्तु का दान करें।
- प्रतिदिन शनि मंत्र “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” का जप करे।
- हनुमान चालीसा के साथ बजरंग बाण का पाठ करें, क्योंकि मंगल हनुमान जी के कारक हैं।
- शनिदेव के मंदिर जाकर दीपक जलाएं।
- 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करे।
- शनि रत्न नीलम को अंगूठी में धारण करे।
- कौवों और गयो को भोजन खिलाए।
- मांसाहार और नशे से दूर रहें।