वृश्चिक राशि साढ़े साती: 2025 से 2116 | आरंभ और समाप्ति तिथि

Vrishchik Rashi Sade Sati

ज्योतिष के अनुसार जब शनि देव किसी भी राशि के चंद्रमा से 12वें, 1वें और 2वें भाव में गोचर करते हैं, तो यह समय “साढ़े साती” कहलाता है। साढ़े साती कुल 7 साल 6 महीने (ढाई साल × 3 चरण) का होता है। वृश्चिक राशि वालों के लिए यह काल थोड़ा कठिन माना जाता है क्योंकि वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल होता है, जो तेज, उत्साही, युवा और आवेगी ग्रह है, जबकि शनि धीमा, संयमी, वृद्ध और अनुशासन प्रिय ग्रह है। इन दोनों ग्रहों की प्रकृति एक-दूसरे से बिलकुल विपरीत होती है, जिससे यह समय कुछ चुनौतियां लेकर आता है।

इस लेख में हम वृश्चिक राशि पर साढ़े साती के तीनों चरणों को सरल भाषा में समझेंगे – कौन कौन सी चुनौतियां सामने आ सकती है, क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए।

वृश्चिक राशि साढ़े साती 2025 वर्तमान स्थिति

28 जनवरी 2041 को शनि तुला राशि में गोचर करेगा, तबसे वृश्चिक राशि के लिए शनि की साढ़े साती प्रारंभ होगी तथा 3 दिसंबर 2049 को समाप्त होगी। ढाई साल के लिए शनि की स्थिति मेष राशि वालों के लिए शुभ रहेगी। जिससे धन और करियर में उन्नति होगी, स्वास्थ में लाभ होगा और जीवन की सभी बाधाएं दूर होगी। जातक को शनि को खुश करने के उपाय करना चाहिए।

राशि: वृश्चिक राशि साढ़े साती 2025 से 2116

नोट: तीसरे कॉलम में शनि राशि की स्थिति को बताया गया है, जो शनि साढ़े साती के समय रहेगी।

क्रम संख्यासाढे साती/ पनौतीशनि राशिआरंभ तिथिसमाप्ति तिथिचरण
1छोटी पनौतीमिथुनमंगलवार, जुलाई 23, 2002बुधवार, जनवरी 8, 2003
2छोटी पनौतीमिथुनमंगलवार, अप्रैल 8, 2003रविवार, सितम्बर 5, 2004
3छोटी पनौतीमिथुनशुक्रवार, जनवरी 14, 2005बुधवार, मई 25, 2005
4साढ़े सातीतुलामंगलवार, नवम्बर 15, 2011मंगलवार, मई 15, 2012उदय
5साढ़े सातीतुलाशनिवार, अगस्त 4, 2012रविवार, नवम्बर 2, 2014उदय
6साढ़े सातीवृश्चिकसोमवार, नवम्बर 3, 2014गुरुवार, जनवरी 26, 2017शिखर
7साढ़े सातीधनुशुक्रवार, जनवरी 27, 2017मंगलवार, जून 20, 2017अस्त
8साढ़े सातीवृश्चिकबुधवार, जून 21, 2017गुरुवार, अक्टूबर 26, 2017शिखर
9साढ़े सातीधनुशुक्रवार, अक्टूबर 27, 2017गुरुवार, जनवरी 23, 2020अस्त
10छोटी पनौतीकुम्भशुक्रवार, अप्रैल 29, 2022मंगलवार, जुलाई 12, 2022
11छोटी पनौतीकुम्भबुधवार, जनवरी 18, 2023शनिवार, मार्च 29, 2025
12छोटी पनौतीमिथुनसोमवार, मई 31, 2032बुधवार, जुलाई 12, 2034
13साढ़े सातीतुलासोमवार, जनवरी 28, 2041मंगलवार, फ़रवरी 5, 2041उदय
14साढ़े सातीतुलागुरुवार, सितम्बर 26, 2041शुक्रवार, दिसम्बर 11, 2043उदय
15साढ़े सातीवृश्चिकशनिवार, दिसम्बर 12, 2043बुधवार, जून 22, 2044शिखर
16साढ़े सातीतुलागुरुवार, जून 23, 2044सोमवार, अगस्त 29, 2044उदय
17साढ़े सातीवृश्चिकमंगलवार, अगस्त 30, 2044शुक्रवार, दिसम्बर 7, 2046शिखर
18साढ़े सातीधनुशनिवार, दिसम्बर 8, 2046शनिवार, मार्च 6, 2049अस्त
19साढ़े सातीधनुशनिवार, जुलाई 10, 2049शुक्रवार, दिसम्बर 3, 2049अस्त
20छोटी पनौतीकुम्भरविवार, फ़रवरी 25, 2052गुरुवार, मई 14, 2054
21छोटी पनौतीकुम्भबुधवार, सितम्बर 2, 2054शुक्रवार, फ़रवरी 5, 2055
22छोटी पनौतीमिथुनसोमवार, जुलाई 11, 2061सोमवार, फ़रवरी 13, 2062
23छोटी पनौतीमिथुनमंगलवार, मार्च 7, 2062गुरुवार, अगस्त 23, 2063
24छोटी पनौतीमिथुनबुधवार, फ़रवरी 6, 2064शुक्रवार, मई 9, 2064
25साढ़े सातीतुलाबुधवार, नवम्बर 5, 2070रविवार, फ़रवरी 5, 2073उदय
26साढ़े सातीवृश्चिकसोमवार, फ़रवरी 6, 2073गुरुवार, मार्च 30, 2073शिखर
27साढ़े सातीतुलाशुक्रवार, मार्च 31, 2073सोमवार, अक्टूबर 23, 2073उदय
28साढ़े सातीवृश्चिकमंगलवार, अक्टूबर 24, 2073गुरुवार, जनवरी 16, 2076शिखर
29साढ़े सातीधनुशुक्रवार, जनवरी 17, 2076शुक्रवार, जुलाई 10, 2076अस्त
30साढ़े सातीवृश्चिकशनिवार, जुलाई 11, 2076रविवार, अक्टूबर 11, 2076शिखर
31साढ़े सातीधनुसोमवार, अक्टूबर 12, 2076शनिवार, जनवरी 14, 2079अस्त
32छोटी पनौतीकुम्भशनिवार, अप्रैल 12, 2081शनिवार, अगस्त 2, 2081
33छोटी पनौतीकुम्भबुधवार, जनवरी 7, 2082रविवार, मार्च 19, 2084
34छोटी पनौतीमिथुनमंगलवार, सितम्बर 19, 2090मंगलवार, अक्टूबर 24, 2090
35छोटी पनौतीमिथुनसोमवार, मई 21, 2091गुरुवार, जुलाई 2, 2093
36साढ़े सातीतुलाशनिवार, दिसम्बर 26, 2099बुधवार, मार्च 17, 2100उदय
37साढ़े सातीतुलाशुक्रवार, सितम्बर 17, 2100शनिवार, दिसम्बर 2, 2102उदय
38साढ़े सातीवृश्चिकरविवार, दिसम्बर 3, 2102रविवार, नवम्बर 29, 2105शिखर
39साढ़े सातीधनुसोमवार, नवम्बर 30, 2105शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2108अस्त
40साढ़े सातीधनुरविवार, जुलाई 29, 2108गुरुवार, नवम्बर 22, 2108अस्त
41छोटी पनौतीकुम्भमंगलवार, फ़रवरी 17, 2111मंगलवार, मई 2, 2113
42छोटी पनौतीकुम्भशुक्रवार, सितम्बर 22, 2113गुरुवार, जनवरी 25, 2114

साढ़े साती का पहला चरण – उदय चरण

इस चरण में शनि आपकी चंद्र राशि से 12वें भाव में तुला राशि में गोचर करेगा। यह साढ़े साती का आरम्भिक चरण होता है जिसे उदय चरण भी कहते है। इस समय आपको अनावश्यक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं, आर्थिक नुकसान और गुप्त शत्रुओं से परेशानी हो सकती है। परिवार और कार्यस्थल दोनों जगह तनाव की स्थिति बन सकती है। इस काल में आपको तनाव, डिप्रेशन, क्रोध जैसी मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इस ढाई साल में कभी कभी स्वस्थ संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। तुला राशि का स्वामी शुक्र होते है जो शनि के प्रति न्यूट्रल होते है, जिससे मेष राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण औसत साबित होता है।

क्या करें:

  • खर्चों पर नियंत्रण रखें।
  • जोखिम भरे निर्णयों से बचें।
  • मेहनत को अपना हथियार बनाएं।
  • धैर्य रखे और सही समय का इंतजार करे।
  • खाद्य पदार्थ का दान करे।

साढ़े साती का दूसरा चरण – शिखर चरण

जब शनि आपकी चंद्र राशि (पहले भाव) में गोचर करता है तो साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ होता है जिसे शिखर चरण भी कहते है। यह सबसे कठिन चरण होता है क्योंकि शनि अब आपकी जन्म राशि (वृश्चिक) में गोचर करता है। इस समय मानसिक तनाव, अवसाद, आत्मविश्वास में कमी और सेहत संबंधी परेशानियाँ सामने आती हैं। जातक को वैवाहिक जीवन या रिलेशन को बचाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है। इस दौरान जातक पर ईर्ष्या, क्रोध जैसी भावनाएं हावी रहती है, आपका चरित्र धूमिल हो सकता है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्रमा के साथ होता है, जो स्वास्थ और घरेलू समस्याओं को जन्म देता है। इस दौरान आपको कड़ी मेहनत का फल नहीं मिलेगा, दैनिक आय में कमी आ सकती है।

क्या करें:

  • मानसिक शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए नियमित योग और ध्यान करें।
  • स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और व्यायाम अवश्य करे।
  • दूसरों की बातों से जल्दी आवेशित न हों।
  • इस समय धैर्य रखे और संतोषपूर्वक स्थिति को समझने की कोशिश करे।
  • शनि मंत्र का जाप या शनिवार को दान करें।
  • अपने रिलेशन के प्रति ज्यादा सचेत रहे और किसी भी गलतफहमी को बात कर सुलझाए।

साढ़े साती का तीसरा चरण – अस्त चरण

यह साढ़े साती का अंतिम चरण होगा जिससे इसे अस्त चरण भी कहते है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्र से दूसरे भाव में यानी धनु राशि में गोचर करेगा, इस दौरान कुछ राहत जरूर मिलेगी क्योंकि धनु के स्वामी बृहस्पति है जो शनि के मित्र हैं, जिससे ऊर्जा थोड़ी संतुलित होती है। लेकिन खर्च बढ़ सकते हैं और पारिवारिक मतभेद या गलतफहमियाँ बनी रहेंगी। यह काल खंड खतरे को भी दर्शाता है इसलिए गाड़ी चलाते वक्त विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। इस काल में अचानक वित्तीय हानि का सामना करना पड़ सकता है। विद्यार्थियों के लिए यह नकारात्मक प्रभाव डालेगा इसलिए विद्यार्थी को थोड़े और परिश्रम करना चाहिए, ताकि वो अपनी पिछली स्थिति बनाए रख सके।

क्या करें:

  • अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें।
  • फिजूल खर्च से बचें।
  • मन और स्वभाव को शांत रखने के लिए योग और ध्यान करे।
  • अपने परिवार और रिश्तों में समरसता और स्पष्टता बनाए रखें।
  • वाहन सावधानी से चलाएं और जोखिम से बचें।
  • मांस मदिरा के सेवन से बचे।
  • शनि को प्रसन्न करने के उपाय करे।

वृश्चिक राशि साढ़े साती के लिए शुभ उपाय:

  • शनिवार को काली उड़द, तिल या लोहे से बनी वस्तु का दान करें।
  • प्रतिदिन शनि मंत्र “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” का जप करे।
  • हनुमान चालीसा के साथ बजरंग बाण का पाठ करें, क्योंकि मंगल हनुमान जी के कारक हैं।
  • शनिदेव के मंदिर जाकर दीपक जलाएं।
  • 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करे।
  • शनि रत्न नीलम को अंगूठी में धारण करे।
  • कौवों और गयो को भोजन खिलाए।
  • मांसाहार और नशे से दूर रहें।

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