तुला राशि साढ़े साती: 2025 से 2116 | आरंभ और समाप्ति तिथि

ज्योतिष के अनुसार जब शनि देव किसी भी राशि के चंद्रमा से 12वें, 1वें और 2वें भाव में गोचर करते हैं, तो यह समय “साढ़े साती” कहलाता है। साढ़े साती कुल 7 साल 6 महीने (ढाई साल × 3 चरण) का होता है। तुला राशि वालों के लिए यह काल थोड़ा कठिन माना जाता है क्योंकि तुला का स्वामी शुक्र ग्रह होता है, जो तेज, उत्साही, युवा और आवेगी ग्रह है, जबकि शनि धीमा, संयमी, वृद्ध और अनुशासन प्रिय ग्रह है। इन दोनों ग्रहों की प्रकृति एक-दूसरे से बिलकुल विपरीत होती है, जिससे यह समय कुछ चुनौतियां लेकर आता है।

इस लेख में हम तुला राशि पर साढ़े साती के तीनों चरणों को सरल भाषा में समझेंगे – कौन कौन सी चुनौतियां सामने आ सकती है, क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए।

तुला राशि साढ़े साती 2025 वर्तमान स्थिति

23 अक्टूबर 2038 को शनि कन्या राशि में गोचर करेगा, तबसे तुला राशि के लिए शनि की साढ़े साती प्रारंभ होगी तथा 07 दिसम्बर 2046 को समाप्त होगी। ढाई साल के लिए शनि की स्थिति तुला राशि वालों के लिए शुभ रहेगी। जिससे धन और करियर में उन्नति होगी, स्वास्थ में लाभ होगा और जीवन की सभी बाधाएं दूर होगी। जातक को शनि को खुश करने के उपाय करना चाहिए।

राशि: तुला राशि साढ़े साती 2025 से 2116

नोट: तीसरे कॉलम में शनि राशि की स्थिति को बताया गया है, जो शनि साढ़े साती के समय रहेगी।

क्रम संख्यासाढे साती/ पनौतीशनि राशिआरंभ तिथिसमाप्ति तिथिचरण
1छोटी पनौतीवृषबुधवार, जून 7, 2000सोमवार, जुलाई 22, 2002
2छोटी पनौतीवृषगुरुवार, जनवरी 9, 2003सोमवार, अप्रैल 7, 2003
3साढ़े सातीकन्यागुरुवार, सितम्बर 10, 2009सोमवार, नवम्बर 14, 2011उदय
4साढ़े सातीतुलामंगलवार, नवम्बर 15, 2011मंगलवार, मई 15, 2012शिखर
5साढ़े सातीकन्याबुधवार, मई 16, 2012शुक्रवार, अगस्त 3, 2012उदय
6साढ़े सातीतुलाशनिवार, अगस्त 4, 2012रविवार, नवम्बर 2, 2014शिखर
7साढ़े सातीवृश्चिकसोमवार, नवम्बर 3, 2014गुरुवार, जनवरी 26, 2017अस्त
8साढ़े सातीवृश्चिकबुधवार, जून 21, 2017गुरुवार, अक्टूबर 26, 2017अस्त
9छोटी पनौतीमकरशुक्रवार, जनवरी 24, 2020गुरुवार, अप्रैल 28, 2022
10छोटी पनौतीमकरबुधवार, जुलाई 13, 2022मंगलवार, जनवरी 17, 2023
11छोटी पनौतीवृषबुधवार, अगस्त 8, 2029शुक्रवार, अक्टूबर 5, 2029
12छोटी पनौतीवृषबुधवार, अप्रैल 17, 2030रविवार, मई 30, 2032
13साढ़े सातीकन्याशनिवार, अक्टूबर 23, 2038मंगलवार, अप्रैल 5, 2039उदय
14साढ़े सातीकन्याबुधवार, जुलाई 13, 2039रविवार, जनवरी 27, 2041उदय
15साढ़े सातीतुलासोमवार, जनवरी 28, 2041मंगलवार, फ़रवरी 5, 2041शिखर
16साढ़े सातीकन्याबुधवार, फ़रवरी 6, 2041बुधवार, सितम्बर 25, 2041उदय
17साढ़े सातीतुलागुरुवार, सितम्बर 26, 2041शुक्रवार, दिसम्बर 11, 2043शिखर
18साढ़े सातीवृश्चिकशनिवार, दिसम्बर 12, 2043बुधवार, जून 22, 2044अस्त
19साढ़े सातीतुलागुरुवार, जून 23, 2044सोमवार, अगस्त 29, 2044शिखर
20साढ़े सातीवृश्चिकमंगलवार, अगस्त 30, 2044शुक्रवार, दिसम्बर 7, 2046अस्त
21छोटी पनौतीमकररविवार, मार्च 7, 2049शुक्रवार, जुलाई 9, 2049
22छोटी पनौतीमकरशनिवार, दिसम्बर 4, 2049शनिवार, फ़रवरी 24, 2052
23छोटी पनौतीवृषबुधवार, मई 28, 2059रविवार, जुलाई 10, 2061
24छोटी पनौतीवृषमंगलवार, फ़रवरी 14, 2062सोमवार, मार्च 6, 2062
25साढ़े सातीकन्यागुरुवार, अगस्त 30, 2068मंगलवार, नवम्बर 4, 2070उदय
26साढ़े सातीतुलाबुधवार, नवम्बर 5, 2070रविवार, फ़रवरी 5, 2073शिखर
27साढ़े सातीवृश्चिकसोमवार, फ़रवरी 6, 2073गुरुवार, मार्च 30, 2073अस्त
28साढ़े सातीतुलाशुक्रवार, मार्च 31, 2073सोमवार, अक्टूबर 23, 2073शिखर
29साढ़े सातीवृश्चिकमंगलवार, अक्टूबर 24, 2073गुरुवार, जनवरी 16, 2076अस्त
30साढ़े सातीवृश्चिकशनिवार, जुलाई 11, 2076रविवार, अक्टूबर 11, 2076अस्त
31छोटी पनौतीमकररविवार, जनवरी 15, 2079शुक्रवार, अप्रैल 11, 2081
32छोटी पनौतीमकररविवार, अगस्त 3, 2081मंगलवार, जनवरी 6, 2082
33छोटी पनौतीवृषरविवार, जुलाई 18, 2088शनिवार, अक्टूबर 30, 2088
34छोटी पनौतीवृषबुधवार, अप्रैल 6, 2089सोमवार, सितम्बर 18, 2090
35छोटी पनौतीवृषबुधवार, अक्टूबर 25, 2090रविवार, मई 20, 2091
36साढ़े सातीकन्याशनिवार, अक्टूबर 12, 2097शुक्रवार, मई 2, 2098उदय
37साढ़े सातीकन्याशुक्रवार, जून 20, 2098शुक्रवार, दिसम्बर 25, 2099उदय
38साढ़े सातीतुलाशनिवार, दिसम्बर 26, 2099बुधवार, मार्च 17, 2100शिखर
39साढ़े सातीकन्यागुरुवार, मार्च 18, 2100गुरुवार, सितम्बर 16, 2100उदय
40साढ़े सातीतुलाशुक्रवार, सितम्बर 17, 2100शनिवार, दिसम्बर 2, 2102शिखर
41साढ़े सातीवृश्चिकरविवार, दिसम्बर 3, 2102रविवार, नवम्बर 29, 2105अस्त
42छोटी पनौतीमकरशनिवार, फ़रवरी 25, 2108शनिवार, जुलाई 28, 2108
43छोटी पनौतीमकरशुक्रवार, नवम्बर 23, 2108सोमवार, फ़रवरी 16, 2111

साढ़े साती का पहला चरण – उदय चरण

इस चरण में शनि आपकी चंद्र राशि से 12वें भाव में कन्या राशि में गोचर करेगा। यह साढ़े साती का आरम्भिक चरण होता है जिसे उदय चरण भी कहते है। इस समय आपको अनावश्यक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं, आर्थिक नुकसान और गुप्त शत्रुओं से परेशानी हो सकती है। परिवार और कार्यस्थल दोनों जगह तनाव की स्थिति बन सकती है। इस काल में आपको तनाव, डिप्रेशन, क्रोध जैसी मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इस ढाई साल में कभी कभी स्वस्थ संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। कन्या राशि का स्वामी बुध होते है जो शनि के प्रति न्यूट्रल होते है, जिससे तुला राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण औसत साबित होता है।

क्या करें:

  • खर्चों पर नियंत्रण रखें।
  • जोखिम भरे निर्णयों से बचें।
  • मेहनत को अपना हथियार बनाएं।
  • धैर्य रखे और सही समय का इंतजार करे।
  • खाद्य पदार्थ का दान करे।

साढ़े साती का दूसरा चरण – शिखर चरण

जब शनि आपकी चंद्र राशि (पहले भाव) में गोचर करता है तो साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ होता है जिसे शिखर चरण भी कहते है। यह सबसे कठिन चरण होता है क्योंकि शनि अब आपकी जन्म राशि (तुला) में गोचर करता है। इस समय मानसिक तनाव, अवसाद, आत्मविश्वास में कमी और सेहत संबंधी परेशानियाँ सामने आती हैं। जातक को वैवाहिक जीवन या रिलेशन को बचाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है। इस दौरान जातक पर ईर्ष्या, क्रोध जैसी भावनाएं हावी रहती है, आपका चरित्र धूमिल हो सकता है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्रमा के साथ होता है, जो स्वास्थ और घरेलू समस्याओं को जन्म देता है। इस दौरान आपको कड़ी मेहनत का फल नहीं मिलेगा, दैनिक आय में कमी आ सकती है।

क्या करें:

  • मानसिक शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए नियमित योग और ध्यान करें।
  • स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और व्यायाम अवश्य करे।
  • दूसरों की बातों से जल्दी आवेशित न हों।
  • इस समय धैर्य रखे और संतोषपूर्वक स्थिति को समझने की कोशिश करे।
  • शनि मंत्र का जाप या शनिवार को दान करें।
  • अपने रिलेशन के प्रति ज्यादा सचेत रहे और किसी भी गलतफहमी को बात कर सुलझाए।

साढ़े साती का तीसरा चरण – अस्त चरण

यह साढ़े साती का अंतिम चरण होगा जिससे इसे अस्त चरण भी कहते है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्र से दूसरे भाव में यानी वृश्चिक राशि में गोचर करेगा, इस दौरान कुछ राहत जरूर मिलेगी क्योंकि वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल है जो शनि के मित्र हैं, जिससे ऊर्जा थोड़ी संतुलित होती है। लेकिन खर्च बढ़ सकते हैं और पारिवारिक मतभेद या गलतफहमियाँ बनी रहेंगी। यह काल खंड खतरे को भी दर्शाता है इसलिए गाड़ी चलाते वक्त विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। इस काल में अचानक वित्तीय हानि का सामना करना पड़ सकता है। विद्यार्थियों के लिए यह नकारात्मक प्रभाव डालेगा इसलिए विद्यार्थी को थोड़े और परिश्रम करना चाहिए, ताकि वो अपनी पिछली स्थिति बनाए रख सके।

क्या करें:

  • अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें।
  • फिजूल खर्च से बचें।
  • मन और स्वभाव को शांत रखने के लिए योग और ध्यान करे।
  • अपने परिवार और रिश्तों में समरसता और स्पष्टता बनाए रखें।
  • वाहन सावधानी से चलाएं और जोखिम से बचें।
  • मांस मदिरा के सेवन से बचे।
  • शनि को प्रसन्न करने के उपाय करे।

तुला राशि साढ़े साती के लिए शुभ उपाय:

  • शनिवार को काली उड़द, तिल या लोहे से बनी वस्तु का दान करें।
  • प्रतिदिन शनि मंत्र “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” का जप करे।
  • हनुमान चालीसा के साथ बजरंग बाण का पाठ करें, क्योंकि मंगल हनुमान जी के कारक हैं।
  • शनिदेव के मंदिर जाकर दीपक जलाएं।
  • 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करे।
  • शनि रत्न नीलम को अंगूठी में धारण करे।
  • कौवों और गयो को भोजन खिलाए।
  • मांसाहार और नशे से दूर रहें।

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