
वैदिक शास्त्र में 9 ग्रहों की परिकल्पना की गई है जिनमें से एक है राहु और केतु। राहु एक छाया ग्रह है जो जीवन में अचानक उतार-चढ़ाव, भ्रम, अस्थिरता और मानसिक तनाव के साथ लोगो के जीवन को प्रभावित करता है। यदि राहु कुंडली में अपने मित्र ग्रहों के साथ है तो शुभ परिणाम भी देता है। लाल किताब, जो एक प्रसिद्ध ज्योतिषीय ग्रंथ है, जिसमें राहु के प्रभाव को संतुलित करने के लिए सरल और प्रभावी उपाय बताती है।
लिए जिम्मेदार माना जाता है। लाल किताब में राहु के दुष्प्रभाव को शांत करने और उसे अनुकूल बनाने के लिए कई सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय बताए गए हैं। यदि कुंडली में राहु अशुभ स्थिति में है, तो ये उपाय जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
राहु की उत्पत्ति
राहु कोई भौतिक ग्रह नहीं है जिससे खगोल विज्ञान में इसका कोई महत्व नहीं है लेकिन हिन्दू वेद और पुराण (ऋगवेद और विष्णु पुराण) में इसका जिक्र मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब अमृत प्रकट होता है तो देवताओं को अमृत पान कराया जा रहा था तभी एक राक्षस देवताओं का रूप धारण कर के देवताओं की पंक्ति में खड़ा हो जाता है और उसने अमृत पान कर लिया। जिससे क्रोध में आकर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सर धड़ से अलग कर दिया, हालांकि अमृत पान करने की वजह से उसकी मृत्यु नहीं होती है। उसी सिर वाले हिस्से को राहु तथा धड़ वाले हिस्से को केतु कहते है।
राहु के कर्मों से संबंध
राहु एक कष्टकारी ग्रह है लेकिन राहु अच्छे तथा बुरे दोनों फल देता है, इसका प्रभाव कुंडली के 12 भागो में अलग अलग होता है। लाल किताब के अनुसार राहु विभिन्न प्रकार के जीव, कर्म, वस्तुओं से संबंध रखता है। शत्रु, मक्कारी, नीचता, बिजली, बिल्ली, हाथी, सिक्का राहु के प्रतीक माने जाते है। राहु का संबंध विद्या की देवी माँ सरस्वती तथा अष्टमुखी रुद्राक्ष, गोमेद रत्न, और नागरमोथा जड़ी से है। इसी के साथ राहु का संबंध खुफिया पुलिस, जेल ससुराल, जंगली चूहा, चालबाज, कच्चा कोयला, भूचाल, सरसों, जौं, लोहे में लगाने वाली जंग, कला कुत्ता, गंदी नली, काना, लंगड़ा, भय, बुखार प्लेग जैसी चीजों से है।
राहु के साथी और दुश्मन ग्रह
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में राहु की शुभ अशुभ स्थिति व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालते है। लाल किताब के अनुसार बुध, शनि, और केतु राहु के मित्र ग्रह तथा सूर्य, चंद्र और मंगल राहु के दुश्मन ग्रह है जो क्रमशः शुभ अशुभ स्थितियां पैदा करते है।
राहु के मजबूत और कमजोर होने का प्रभाव
यदि राहु किसी व्यक्ति की कुंडली में मजबूत है तो वह जातक को अच्छे और शुभ लाभ प्रदान करता है (जैसे अच्छे विचार, स्वस्थ मस्तिष्क और शरीर, कार्यों का सफल होना, सुख-शांति, सफलता इत्यादि।) जब कुंडली में राहु का वास अपने मित्र ग्रहों शनि, बुध और केतु के साथ होता है तो राहु मजबूत होता है।
इसके विपरीत जब राहु अपने दुश्मन ग्रहों सूर्य, चंद्र और मंगल के साथ होता है तो कमजोर होता है और जातक पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। (जैसे बार बार असफलता, कार्य में बाधा आना, स्वास्थ का बिगड़ना, बुद्धि भ्रमित होना, अकास्मिक दुर्घटना, बुरी आदतों में लिप्त होना इत्यादि )
राहु के अशुभ लक्षण
लाल किताब के अनुसार यदि राहु किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ स्थिति (कमजोर) में होता है, तो व्यक्ति के जीवन में निम्नलिखित संकेत नजर आते है, जैसे:
- बार-बार नौकरी या व्यवसाय में असफलता
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का बिगड़ना जैसे पागलपन, गैस्ट्रिक, अल्सर, आंतों की समस्या
- चिंता, चिड़चिड़ा होना
- घर में दीमक लगाना
- बेवजह के कोर्ट-कचहरी के मामले
- मानसिक भ्रम और डिप्रेशन
- घर में छोटे जंगली पौधों का उगाना
- सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट
- गंदी आदतों या गलत संगति में फँसना
- आकस्मिक दुर्घटनाएं या चोटें
- अचानक धन हानि होना
- इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का बार बार खराब होना और चोरी होना
- दिमाग में गंदे विचार उत्पन्न होना
राहु महादशा
राहु महादशा 18 वर्ष की होती है जो 3, 6, 9 के क्रम में पूरा होती है जो शुभ अशुभ दोनों प्रभाव दिखाती है। राहु, महादशा के छठे तथा आठवें वर्ष में बहुत कष्टदाई होता है। महादशा की अवधि में यदि राहु जातक की जन्मकुंडली में अपने मित्र ग्रहों के साथ बैठा हो तो अविश्वसनीय शुभ परिणाम देता है लेकिन यदि यह अपने दुश्मन ग्रह के साथ बैठा होता है तो यह अशुभ परिणाम के साथ जीवन को कष्टों से भर देता है।
राहु को खुश करने के उपाय लाल किताब
- जातक को राहु के प्रकोप तथा राहु महादशा से बचने के लिए लाल किताब द्वारा सुझाए गए निम्नलिखित उपाय को करना चाहिए।
- लाल किताब में कहा गया है कि यदि राहु कष्ट दे रहा हो, तो नीले और काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। खासकर शनिवार को इन रंगों का उपयोग न करें।
- राहु गंदगी और अस्त-व्यस्तता को पसंद करता है। घर, विशेषकर रसोई और शौचालय को साफ रखना राहु के प्रकोप से दूर रखता है।
- शनिवार के दिन काले तिल और सरसों का तेल किसी मंदिर में दान करना या पीपल के पेड़ पर चढ़ाना राहु को शांत करने में सहायक होता है।
- लाल किताब में बताया गया है कि नारियल राहु के प्रभाव को कम करता है। सप्ताह में एक दिन नारियल पानी पीना और नारियल का दान करना लाभकारी हो सकता है।
- प्रतिदिन या शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी या खाना खिलने से राहु दोष दूर होता है।
- राहु को प्रसन्न करने के लिए हर शाम घर या मंदिर में धूप और दीपक जलाकर भगवान शिव या भैरव बाबा की पूजा करना बहुत लाभकारी माना गया है।
- एक विशेष उपाय लाल किताब में बताया गया है जिसे छाया दान कहा जाता है। इसके अंतर्गत लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर शनिवार के दिन किसी मंदिर में दान किया जाता है। यह राहु और शनि दोनों को शांत करता है।
- राहु महादशा में जातक को हर शनिवार बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए।
- कमजोर राहु वाले लोगों को मांस, मदिरा, से दूर रहना चाहिए।
- राहु भ्रम और मानसिक तनाव पैदा करता है। नियमित रूप से पूजा पाठ, प्राणायाम और ध्यान करने से राहु के कारण उत्पन्न मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है।
- राहु को शांत करने के लिए व्यक्ति को हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे का छल्ला तथा पास में एक चांदी का सिक्का हमेशा रखना चाहिए।
- लाल किताब के अनुसार राहु को शांत करने के लिए गरीब व्यक्तियों को ऊनी कपड़े या कंबल या आवश्यक वस्तुओं का दान करना बहुत कारगर होता है।
- लाल किताब के अनुसार राहु महादशा से पीड़ित व्यक्ति को गंगा स्नान करना चाहिए।
राहु को खुश करने के कुछ खास मंत्र
राहु के दोष को शांत करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करें:
“ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”
इस मंत्र का 108 बार जाप प्रतिदिन या विशेषकर शनिवार को करने से राहु शांत होता है।
निष्कर्ष
राहु जीवन में भ्रम और अंधकार का प्रतीक है, लेकिन लाल किताब में बताए गए उपाय अपनाकर उसके नकारात्मक प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सबसे जरूरी बात यह है कि किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से कुंडली दिखाकर ही उपाय करें, क्योंकि राहु का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग होता है।