
ज्योतिष के अनुसार जब शनि देव किसी भी राशि के चंद्रमा से 12वें, 1वें और 2वें भाव में गोचर करते हैं, तो यह समय “साढ़े साती” कहलाता है। साढ़े साती कुल 7 साल 6 महीने (ढाई साल × 3 चरण) का होता है। मिथुन राशि वालों के लिए पहला और दूसरा चरण सकारात्मक रहेगा, क्योंकि मिथुन राशि का स्वामी बुध होता है, जो शनि का मित्र ग्रह है और बुद्धि, और संचार का कारक है, जबकि शनि धीमा, संयमी, वृद्ध और अनुशासन प्रिय ग्रह है। मिथुन राशि के लिए यह काल कम चुनौती पूर्ण रहेगा।
इस लेख में हम मिथुन राशि पर साढ़े साती के तीनों चरणों को सरल भाषा में समझेंगे – कौन कौन सी चुनौतियां सामने आ सकती है, क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए।
मिथुन राशि साढ़े साती 2025 वर्तमान स्थिति
29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में गोचर करेगा, जो मिथुन राशि के लिए अच्छा और लाभकारी साबित होगा। मिथुन के लिए शनि दशम भाव में है कुंडली का दशम भाव कर्म और कार्य क्षेत्र का होता है। ढाई साल के लिए शनि की स्थिति मिथुन राशि वालों के लिए शुभ रहेगी। जिससे धन और करियर में उन्नति होगी, स्वास्थ में लाभ होगा और जीवन की सभी बाधाएं दूर होगी। जातक को शनि को खुश करने के उपाय करना चाहिए।
राशि: मिथुन राशि साढ़े साती 2025 से 2116
नोट: तीसरे कॉलम में शनि राशि की स्थिति को बताया गया है, जो शनि साढ़े साती के समय रहेगी।
क्रम संख्या | साढे साती/ पनौती | शनि राशि | आरंभ तिथि | समाप्ति तिथि | चरण |
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1 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, जून 7, 2000 | सोमवार, जुलाई 22, 2002 | उदय |
2 | साढ़े साती | मिथुन | मंगलवार, जुलाई 23, 2002 | बुधवार, जनवरी 8, 2003 | शिखर |
3 | साढ़े साती | वृष | गुरुवार, जनवरी 9, 2003 | सोमवार, अप्रैल 7, 2003 | उदय |
4 | साढ़े साती | मिथुन | मंगलवार, अप्रैल 8, 2003 | रविवार, सितम्बर 5, 2004 | शिखर |
5 | साढ़े साती | कर्क | सोमवार, सितम्बर 6, 2004 | गुरुवार, जनवरी 13, 2005 | अस्त |
6 | साढ़े साती | मिथुन | शुक्रवार, जनवरी 14, 2005 | बुधवार, मई 25, 2005 | शिखर |
7 | साढ़े साती | कर्क | गुरुवार, मई 26, 2005 | मंगलवार, अक्टूबर 31, 2006 | अस्त |
8 | साढ़े साती | कर्क | गुरुवार, जनवरी 11, 2007 | रविवार, जुलाई 15, 2007 | अस्त |
9 | छोटी पनौती | कन्या | गुरुवार, सितम्बर 10, 2009 | सोमवार, नवम्बर 14, 2011 | |
10 | छोटी पनौती | कन्या | बुधवार, मई 16, 2012 | शुक्रवार, अगस्त 3, 2012 | |
11 | छोटी पनौती | मकर | शुक्रवार, जनवरी 24, 2020 | गुरुवार, अप्रैल 28, 2022 | |
12 | छोटी पनौती | मकर | बुधवार, जुलाई 13, 2022 | मंगलवार, जनवरी 17, 2023 | |
13 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, अगस्त 8, 2029 | शुक्रवार, अक्टूबर 5, 2029 | उदय |
14 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, अप्रैल 17, 2030 | रविवार, मई 30, 2032 | उदय |
15 | साढ़े साती | मिथुन | सोमवार, मई 31, 2032 | बुधवार, जुलाई 12, 2034 | शिखर |
16 | साढ़े साती | कर्क | गुरुवार, जुलाई 13, 2034 | बुधवार, अगस्त 27, 2036 | अस्त |
17 | छोटी पनौती | कन्या | शनिवार, अक्टूबर 23, 2038 | मंगलवार, अप्रैल 5, 2039 | |
18 | छोटी पनौती | कन्या | बुधवार, जुलाई 13, 2039 | रविवार, जनवरी 27, 2041 | |
19 | छोटी पनौती | कन्या | बुधवार, फ़रवरी 6, 2041 | बुधवार, सितम्बर 25, 2041 | |
20 | छोटी पनौती | मकर | रविवार, मार्च 7, 2049 | शुक्रवार, जुलाई 9, 2049 | |
21 | छोटी पनौती | मकर | शनिवार, दिसम्बर 4, 2049 | शनिवार, फ़रवरी 24, 2052 | |
22 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, मई 28, 2059 | रविवार, जुलाई 10, 2061 | उदय |
23 | साढ़े साती | मिथुन | सोमवार, जुलाई 11, 2061 | सोमवार, फ़रवरी 13, 2062 | शिखर |
24 | साढ़े साती | वृष | मंगलवार, फ़रवरी 14, 2062 | सोमवार, मार्च 6, 2062 | उदय |
25 | साढ़े साती | मिथुन | मंगलवार, मार्च 7, 2062 | गुरुवार, अगस्त 23, 2063 | शिखर |
26 | साढ़े साती | कर्क | शुक्रवार, अगस्त 24, 2063 | मंगलवार, फ़रवरी 5, 2064 | अस्त |
27 | साढ़े साती | मिथुन | बुधवार, फ़रवरी 6, 2064 | शुक्रवार, मई 9, 2064 | शिखर |
28 | साढ़े साती | कर्क | शनिवार, मई 10, 2064 | सोमवार, अक्टूबर 12, 2065 | अस्त |
29 | साढ़े साती | कर्क | गुरुवार, फ़रवरी 4, 2066 | शुक्रवार, जुलाई 2, 2066 | अस्त |
30 | छोटी पनौती | कन्या | गुरुवार, अगस्त 30, 2068 | मंगलवार, नवम्बर 4, 2070 | |
31 | छोटी पनौती | मकर | रविवार, जनवरी 15, 2079 | शुक्रवार, अप्रैल 11, 2081 | |
32 | छोटी पनौती | मकर | रविवार, अगस्त 3, 2081 | मंगलवार, जनवरी 6, 2082 | |
33 | साढ़े साती | वृष | रविवार, जुलाई 18, 2088 | शनिवार, अक्टूबर 30, 2088 | उदय |
34 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, अप्रैल 6, 2089 | सोमवार, सितम्बर 18, 2090 | उदय |
35 | साढ़े साती | मिथुन | मंगलवार, सितम्बर 19, 2090 | मंगलवार, अक्टूबर 24, 2090 | शिखर |
36 | साढ़े साती | वृष | बुधवार, अक्टूबर 25, 2090 | रविवार, मई 20, 2091 | उदय |
37 | साढ़े साती | मिथुन | सोमवार, मई 21, 2091 | गुरुवार, जुलाई 2, 2093 | शिखर |
38 | साढ़े साती | कर्क | शुक्रवार, जुलाई 3, 2093 | गुरुवार, अगस्त 18, 2095 | अस्त |
39 | छोटी पनौती | कन्या | शनिवार, अक्टूबर 12, 2097 | शुक्रवार, मई 2, 2098 | |
40 | छोटी पनौती | कन्या | शुक्रवार, जून 20, 2098 | शुक्रवार, दिसम्बर 25, 2099 | |
41 | छोटी पनौती | कन्या | गुरुवार, मार्च 18, 2100 | गुरुवार, सितम्बर 16, 2100 | |
42 | छोटी पनौती | मकर | शनिवार, फ़रवरी 25, 2108 | शनिवार, जुलाई 28, 2108 | |
43 | छोटी पनौती | मकर | शुक्रवार, नवम्बर 23, 2108 | सोमवार, फ़रवरी 16, 2111 |
साढ़े साती का पहला चरण – उदय चरण
इस चरण में शनि आपकी चंद्र राशि से 12वें भाव में वृषभ राशि में गोचर करेगा। यह साढ़े साती का आरम्भिक चरण होता है जिसे उदय चरण भी कहते है। मिथुन राशि के लिए यह चरण सकारात्मक होगा, क्योंकि शनि वृष राशि के स्वामी ग्रह शुक्र से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है। यह काल जातक के लिए अपेक्षाकृत लाभदायक और कम कष्टदाई होगा। जातक को आर्थिक लाभ, आय में वृद्धि होगा। आप शानदार जीवन शैली पर खर्च करेंगे, आपका महिलाओं के साथ जुड़ाव महसूस करेंगे। इस समय आपके आय में वृद्धि होगी और आप धन अर्जित करना चाहेंगे। हालांकि आपको विश्वासघात का सामना करना पड़ सकता है और आपके कई रिश्ते टूट सकते है। जिससे आपको तनाव, डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जिससे मिथुन राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण सकारात्मक साबित होता है।
क्या करें:
- खर्चों पर नियंत्रण रखें।
- जोखिम भरे निर्णयों से बचें।
- मेहनत को अपना हथियार बनाएं।
- धैर्य रखे और सही समय का इंतजार करे।
- खाद्य पदार्थ का दान करे।
साढ़े साती का दूसरा चरण – शिखर चरण
जब शनि आपकी चंद्र राशि (पहले भाव) में गोचर करता है तो साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ होता है जिसे शिखर चरण भी कहते है। सामान्यतः यह सबसे कठिन चरण होता है लेकिन मिथुन राशि के लिए यह चरण सकारात्म और लाभदायक रहेगा। दूसरे चरण में शनि आपकी जन्म राशि (मिथुन) में गोचर करता है। जातक को छोटी यात्राओं का लाभ होगा, आपकी बौद्धिक क्षमता, तार्किक क्षमता में वृद्धि होगी। सीखने और अध्ययन में आपकी रुचि बढ़ेगी। आर्थिक मोर्चे पर वृद्धि, संतान सुख मिलेगा। कार्य के दबाव में थोड़ी मानसिक अशांति, क्रोध का सामना करना पड़ेगा। इस चरण में शनि जन्म के चंद्रमा के साथ होता है, जो स्वास्थ और घरेलू समस्याओं को जन्म देता है।
क्या करें:
- मानसिक शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए नियमित योग और ध्यान करें।
- स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और व्यायाम अवश्य करे।
- दूसरों की बातों से जल्दी आवेशित न हों।
- इस समय धैर्य रखे और संतोषपूर्वक स्थिति को समझने की कोशिश करे।
- शनि मंत्र का जाप या शनिवार को दान करें।
- अपने रिलेशन के प्रति ज्यादा सचेत रहे और किसी भी गलतफहमी को बात कर सुलझाए।
साढ़े साती का तीसरा चरण – अस्त चरण
यह साढ़े साती का अंतिम चरण होगा जिससे इसे अस्त चरण भी कहते है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्र से दूसरे भाव में यानी कर्क राशि में गोचर करेगा, जो शनि का शत्रु ग्रह है जो विष योग बनाता है। इस वक्त आपको अनावश्यक यात्राएं करने पड़ेगी, आर्थिक हानि, और खर्च बढ़ सकते है। शत्रुओं से विवाद बढ़ेगा। यह काल खंड खतरे को भी दर्शाता है इसलिए गाड़ी चलाते वक्त विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। इस काल में अचानक वित्तीय हानि का सामना करना पड़ सकता है। विद्यार्थियों के लिए यह नकारात्मक प्रभाव डालेगा इसलिए विद्यार्थी को थोड़े और परिश्रम करना चाहिए, ताकि वो अपनी पिछली स्थिति बनाए रख सके।
क्या करें:
- अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें।
- फिजूल खर्च से बचें।
- मन और स्वभाव को शांत रखने के लिए योग और ध्यान करे।
- अपने परिवार और रिश्तों में समरसता और स्पष्टता बनाए रखें।
- वाहन सावधानी से चलाएं और जोखिम से बचें।
- मांस मदिरा के सेवन से बचे।
- शनि को प्रसन्न करने के उपाय करे।
मिथुन राशि साढ़े साती के लिए शुभ उपाय:
- शनिवार को काली उड़द, तिल या लोहे से बनी वस्तु का दान करें।
- प्रतिदिन शनि मंत्र “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” का जप करे।
- हनुमान चालीसा के साथ बजरंग बाण का पाठ करें, क्योंकि मंगल हनुमान जी के कारक हैं।
- शनिदेव के मंदिर जाकर दीपक जलाएं।
- 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करे।
- शनि रत्न नीलम को अंगूठी में धारण करे।
- कौवों और गयो को भोजन खिलाए।
- मांसाहार और नशे से दूर रहें।