कन्या राशि साढ़े साती: 2025 से 2116 | आरंभ और समाप्ति तिथि

Kanya Rashi Sade sati

ज्योतिष के अनुसार जब शनि देव किसी भी राशि के चंद्रमा से 12वें, 1वें और 2वें भाव में गोचर करते हैं, तो यह समय “साढ़े साती” कहलाता है। साढ़े साती कुल 7 साल 6 महीने (ढाई साल × 3 चरण) का होता है। कन्या राशि वालों के लिए यह काल थोड़ा कठिन माना जाता है क्योंकि कन्या राशि का स्वामी बुध है, जो तेज, उत्साही, युवा और आवेगी ग्रह है, जबकि शनि धीमा, संयमी, वृद्ध और अनुशासन प्रिय ग्रह है। इन दोनों ग्रहों की प्रकृति एक-दूसरे से बिलकुल विपरीत होती है, जिससे यह समय कुछ चुनौतियां लेकर आता है।

इस लेख में हम कन्या राशि पर साढ़े साती के तीनों चरणों को सरल भाषा में समझेंगे – कौन कौन सी चुनौतियां सामने आ सकती है, क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए।

कन्या राशि साढ़े साती 2025 वर्तमान स्थिति

28 अगस्त 2036 को शनि सिंह राशि में गोचर करेगा, तबसे कन्या राशि के लिए शनि की साढ़े साती प्रारंभ होगी तथा 11 दिसम्बर 2043 को समाप्त होगी। ढाई साल के लिए शनि की स्थिति कन्या राशि वालों के लिए शुभ रहेगी। जिससे धन और करियर में उन्नति होगी, स्वास्थ में लाभ होगा और जीवन की सभी बाधाएं दूर होगी। जातक को शनि को खुश करने के उपाय करना चाहिए।

राशि: कन्या राशि साढ़े साती 2025 से 2116

नोट: तीसरे कॉलम में शनि राशि की स्थिति को बताया गया है, जो शनि साढ़े साती के समय रहेगी।

क्रम संख्यासाढे साती/ पनौतीशनि राशिआरंभ तिथिसमाप्ति तिथिचरण
1छोटी पनौतीमेषशनिवार, अप्रैल 18, 1998मंगलवार, जून 6, 2000
2साढ़े सातीसिंहबुधवार, नवम्बर 1, 2006बुधवार, जनवरी 10, 2007उदय
3साढ़े सातीसिंहसोमवार, जुलाई 16, 2007बुधवार, सितम्बर 9, 2009उदय
4साढ़े सातीकन्यागुरुवार, सितम्बर 10, 2009सोमवार, नवम्बर 14, 2011शिखर
5साढ़े सातीतुलामंगलवार, नवम्बर 15, 2011मंगलवार, मई 15, 2012अस्त
6साढ़े सातीकन्याबुधवार, मई 16, 2012शुक्रवार, अगस्त 3, 2012शिखर
7साढ़े सातीतुलाशनिवार, अगस्त 4, 2012रविवार, नवम्बर 2, 2014अस्त
8छोटी पनौतीधनुशुक्रवार, जनवरी 27, 2017मंगलवार, जून 20, 2017
9छोटी पनौतीधनुशुक्रवार, अक्टूबर 27, 2017गुरुवार, जनवरी 23, 2020
10छोटी पनौतीमेषगुरुवार, जून 3, 2027मंगलवार, अक्टूबर 19, 2027
11छोटी पनौतीमेषगुरुवार, फ़रवरी 24, 2028मंगलवार, अगस्त 7, 2029
12छोटी पनौतीमेषशनिवार, अक्टूबर 6, 2029मंगलवार, अप्रैल 16, 2030
13साढ़े सातीसिंहगुरुवार, अगस्त 28, 2036शुक्रवार, अक्टूबर 22, 2038उदय
14साढ़े सातीकन्याशनिवार, अक्टूबर 23, 2038मंगलवार, अप्रैल 5, 2039शिखर
15साढ़े सातीसिंहबुधवार, अप्रैल 6, 2039मंगलवार, जुलाई 12, 2039उदय
16साढ़े सातीकन्याबुधवार, जुलाई 13, 2039रविवार, जनवरी 27, 2041शिखर
17साढ़े सातीतुलासोमवार, जनवरी 28, 2041मंगलवार, फ़रवरी 5, 2041अस्त
18साढ़े सातीकन्याबुधवार, फ़रवरी 6, 2041बुधवार, सितम्बर 25, 2041शिखर
19साढ़े सातीतुलागुरुवार, सितम्बर 26, 2041शुक्रवार, दिसम्बर 11, 2043अस्त
20साढ़े सातीतुलागुरुवार, जून 23, 2044सोमवार, अगस्त 29, 2044अस्त
21छोटी पनौतीधनुशनिवार, दिसम्बर 8, 2046शनिवार, मार्च 6, 2049
22छोटी पनौतीधनुशनिवार, जुलाई 10, 2049शुक्रवार, दिसम्बर 3, 2049
23छोटी पनौतीमेषशनिवार, अप्रैल 7, 2057मंगलवार, मई 27, 2059
24साढ़े सातीसिंहमंगलवार, अक्टूबर 13, 2065बुधवार, फ़रवरी 3, 2066उदय
25साढ़े सातीसिंहशनिवार, जुलाई 3, 2066बुधवार, अगस्त 29, 2068उदय
26साढ़े सातीकन्यागुरुवार, अगस्त 30, 2068मंगलवार, नवम्बर 4, 2070शिखर
27साढ़े सातीतुलाबुधवार, नवम्बर 5, 2070रविवार, फ़रवरी 5, 2073अस्त
28साढ़े सातीतुलाशुक्रवार, मार्च 31, 2073सोमवार, अक्टूबर 23, 2073अस्त
29छोटी पनौतीधनुशुक्रवार, जनवरी 17, 2076शुक्रवार, जुलाई 10, 2076
30छोटी पनौतीधनुसोमवार, अक्टूबर 12, 2076शनिवार, जनवरी 14, 2079
31छोटी पनौतीमेषबुधवार, मई 22, 2086शनिवार, नवम्बर 9, 2086
32छोटी पनौतीमेषशनिवार, फ़रवरी 8, 2087शनिवार, जुलाई 17, 2088
33छोटी पनौतीमेषरविवार, अक्टूबर 31, 2088मंगलवार, अप्रैल 5, 2089
34साढ़े सातीसिंहशुक्रवार, अगस्त 19, 2095शुक्रवार, अक्टूबर 11, 2097उदय
35साढ़े सातीकन्याशनिवार, अक्टूबर 12, 2097शुक्रवार, मई 2, 2098शिखर
36साढ़े सातीसिंहशनिवार, मई 3, 2098गुरुवार, जून 19, 2098उदय
37साढ़े सातीकन्याशुक्रवार, जून 20, 2098शुक्रवार, दिसम्बर 25, 2099शिखर
38साढ़े सातीतुलाशनिवार, दिसम्बर 26, 2099बुधवार, मार्च 17, 2100अस्त
39साढ़े सातीकन्यागुरुवार, मार्च 18, 2100गुरुवार, सितम्बर 16, 2100शिखर
40साढ़े सातीतुलाशुक्रवार, सितम्बर 17, 2100शनिवार, दिसम्बर 2, 2102अस्त
41छोटी पनौतीधनुसोमवार, नवम्बर 30, 2105शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2108
42छोटी पनौतीधनुरविवार, जुलाई 29, 2108गुरुवार, नवम्बर 22, 2108
43छोटी पनौतीमेषसोमवार, मार्च 30, 2116बुधवार, मई 18, 2118

साढ़े साती का पहला चरण – उदय चरण

इस चरण में शनि आपकी चंद्र राशि से 12वें भाव में सिंह राशि में गोचर करेगा। यह साढ़े साती का आरम्भिक चरण होता है जिसे उदय चरण भी कहते है। इस समय आपको अनावश्यक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं, आर्थिक नुकसान और गुप्त शत्रुओं से परेशानी हो सकती है। परिवार और कार्यस्थल दोनों जगह तनाव की स्थिति बन सकती है। इस काल में आपको तनाव, डिप्रेशन, क्रोध जैसी मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इस ढाई साल में कभी कभी स्वस्थ संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। सिंह राशि का स्वामी सूर्य होते है जो शनि के का दुश्मन ग्रह है, जिससे कन्या राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण कठिन साबित होता है।

क्या करें:

  • खर्चों पर नियंत्रण रखें।
  • जोखिम भरे निर्णयों से बचें।
  • मेहनत को अपना हथियार बनाएं।
  • धैर्य रखे और सही समय का इंतजार करे।
  • खाद्य पदार्थ का दान करे।

साढ़े साती का दूसरा चरण – शिखर चरण

जब शनि आपकी चंद्र राशि (पहले भाव) में गोचर करता है तो साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ होता है जिसे शिखर चरण भी कहते है। यह सबसे कठिन चरण होता है क्योंकि शनि अब आपकी जन्म राशि (कन्या) में गोचर करता है। इस समय मानसिक तनाव, अवसाद, आत्मविश्वास में कमी और सेहत संबंधी परेशानियाँ सामने आती हैं। जातक को वैवाहिक जीवन या रिलेशन को बचाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है। इस दौरान जातक पर ईर्ष्या, क्रोध जैसी भावनाएं हावी रहती है, आपका चरित्र धूमिल हो सकता है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्रमा के साथ होता है, जो स्वास्थ और घरेलू समस्याओं को जन्म देता है। इस दौरान आपको कड़ी मेहनत का फल नहीं मिलेगा, दैनिक आय में कमी आ सकती है।

क्या करें:

  • मानसिक शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए नियमित योग और ध्यान करें।
  • स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और व्यायाम अवश्य करे।
  • दूसरों की बातों से जल्दी आवेशित न हों।
  • इस समय धैर्य रखे और संतोषपूर्वक स्थिति को समझने की कोशिश करे।
  • शनि मंत्र का जाप या शनिवार को दान करें।
  • अपने रिलेशन के प्रति ज्यादा सचेत रहे और किसी भी गलतफहमी को बात कर सुलझाए।

साढ़े साती का तीसरा चरण – अस्त चरण

यह साढ़े साती का अंतिम चरण होगा जिससे इसे अस्त चरण भी कहते है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्र से दूसरे भाव में यानी तुला राशि में गोचर करेगा, इस दौरान कुछ राहत जरूर मिलेगी क्योंकि तुला राशि के स्वामी शुक्र है जो शनि के मित्र हैं, जिससे ऊर्जा थोड़ी संतुलित होती है। लेकिन खर्च बढ़ सकते हैं और पारिवारिक मतभेद या गलतफहमियाँ बनी रहेंगी। यह काल खंड खतरे को भी दर्शाता है इसलिए गाड़ी चलाते वक्त विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। इस काल में अचानक वित्तीय हानि का सामना करना पड़ सकता है। विद्यार्थियों के लिए यह नकारात्मक प्रभाव डालेगा इसलिए विद्यार्थी को थोड़े और परिश्रम करना चाहिए, ताकि वो अपनी पिछली स्थिति बनाए रख सके।

क्या करें:

  • अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें।
  • फिजूल खर्च से बचें।
  • मन और स्वभाव को शांत रखने के लिए योग और ध्यान करे।
  • अपने परिवार और रिश्तों में समरसता और स्पष्टता बनाए रखें।
  • वाहन सावधानी से चलाएं और जोखिम से बचें।
  • मांस मदिरा के सेवन से बचे।
  • शनि को प्रसन्न करने के उपाय करे।

कन्या राशि साढ़े साती के लिए शुभ उपाय:

  • शनिवार को काली उड़द, तिल या लोहे से बनी वस्तु का दान करें।
  • प्रतिदिन शनि मंत्र “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” का जप करे।
  • हनुमान चालीसा के साथ बजरंग बाण का पाठ करें, क्योंकि मंगल हनुमान जी के कारक हैं।
  • शनिदेव के मंदिर जाकर दीपक जलाएं।
  • 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करे।
  • शनि रत्न नीलम को अंगूठी में धारण करे।
  • कौवों और गयो को भोजन खिलाए।
  • मांसाहार और नशे से दूर रहें।

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