मिथुन राशि साढ़े साती: 2025 से 2116 | आरंभ और समाप्ति तिथि

Mithun Rashi Sade Sati

ज्योतिष के अनुसार जब शनि देव किसी भी राशि के चंद्रमा से 12वें, 1वें और 2वें भाव में गोचर करते हैं, तो यह समय “साढ़े साती” कहलाता है। साढ़े साती कुल 7 साल 6 महीने (ढाई साल × 3 चरण) का होता है। मिथुन राशि वालों के लिए पहला और दूसरा चरण सकारात्मक रहेगा, क्योंकि मिथुन राशि का स्वामी बुध होता है, जो शनि का मित्र ग्रह है और बुद्धि, और संचार का कारक है, जबकि शनि धीमा, संयमी, वृद्ध और अनुशासन प्रिय ग्रह है। मिथुन राशि के लिए यह काल कम चुनौती पूर्ण रहेगा।

इस लेख में हम मिथुन राशि पर साढ़े साती के तीनों चरणों को सरल भाषा में समझेंगे – कौन कौन सी चुनौतियां सामने आ सकती है, क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए।

मिथुन राशि साढ़े साती 2025 वर्तमान स्थिति

29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में गोचर करेगा, जो मिथुन राशि के लिए अच्छा और लाभकारी साबित होगा। मिथुन के लिए शनि दशम भाव में है कुंडली का दशम भाव कर्म और कार्य क्षेत्र का होता है। ढाई साल के लिए शनि की स्थिति मिथुन राशि वालों के लिए शुभ रहेगी। जिससे धन और करियर में उन्नति होगी, स्वास्थ में लाभ होगा और जीवन की सभी बाधाएं दूर होगी। जातक को शनि को खुश करने के उपाय करना चाहिए।

राशि: मिथुन राशि साढ़े साती 2025 से 2116

नोट: तीसरे कॉलम में शनि राशि की स्थिति को बताया गया है, जो शनि साढ़े साती के समय रहेगी।

क्रम संख्यासाढे साती/ पनौतीशनि राशिआरंभ तिथिसमाप्ति तिथिचरण
1साढ़े सातीवृषबुधवार, जून 7, 2000सोमवार, जुलाई 22, 2002उदय
2साढ़े सातीमिथुनमंगलवार, जुलाई 23, 2002बुधवार, जनवरी 8, 2003शिखर
3साढ़े सातीवृषगुरुवार, जनवरी 9, 2003सोमवार, अप्रैल 7, 2003उदय
4साढ़े सातीमिथुनमंगलवार, अप्रैल 8, 2003रविवार, सितम्बर 5, 2004शिखर
5साढ़े सातीकर्कसोमवार, सितम्बर 6, 2004गुरुवार, जनवरी 13, 2005अस्त
6साढ़े सातीमिथुनशुक्रवार, जनवरी 14, 2005बुधवार, मई 25, 2005शिखर
7साढ़े सातीकर्कगुरुवार, मई 26, 2005मंगलवार, अक्टूबर 31, 2006अस्त
8साढ़े सातीकर्कगुरुवार, जनवरी 11, 2007रविवार, जुलाई 15, 2007अस्त
9छोटी पनौतीकन्यागुरुवार, सितम्बर 10, 2009सोमवार, नवम्बर 14, 2011
10छोटी पनौतीकन्याबुधवार, मई 16, 2012शुक्रवार, अगस्त 3, 2012
11छोटी पनौतीमकरशुक्रवार, जनवरी 24, 2020गुरुवार, अप्रैल 28, 2022
12छोटी पनौतीमकरबुधवार, जुलाई 13, 2022मंगलवार, जनवरी 17, 2023
13साढ़े सातीवृषबुधवार, अगस्त 8, 2029शुक्रवार, अक्टूबर 5, 2029उदय
14साढ़े सातीवृषबुधवार, अप्रैल 17, 2030रविवार, मई 30, 2032उदय
15साढ़े सातीमिथुनसोमवार, मई 31, 2032बुधवार, जुलाई 12, 2034शिखर
16साढ़े सातीकर्कगुरुवार, जुलाई 13, 2034बुधवार, अगस्त 27, 2036अस्त
17छोटी पनौतीकन्याशनिवार, अक्टूबर 23, 2038मंगलवार, अप्रैल 5, 2039
18छोटी पनौतीकन्याबुधवार, जुलाई 13, 2039रविवार, जनवरी 27, 2041
19छोटी पनौतीकन्याबुधवार, फ़रवरी 6, 2041बुधवार, सितम्बर 25, 2041
20छोटी पनौतीमकररविवार, मार्च 7, 2049शुक्रवार, जुलाई 9, 2049
21छोटी पनौतीमकरशनिवार, दिसम्बर 4, 2049शनिवार, फ़रवरी 24, 2052
22साढ़े सातीवृषबुधवार, मई 28, 2059रविवार, जुलाई 10, 2061उदय
23साढ़े सातीमिथुनसोमवार, जुलाई 11, 2061सोमवार, फ़रवरी 13, 2062शिखर
24साढ़े सातीवृषमंगलवार, फ़रवरी 14, 2062सोमवार, मार्च 6, 2062उदय
25साढ़े सातीमिथुनमंगलवार, मार्च 7, 2062गुरुवार, अगस्त 23, 2063शिखर
26साढ़े सातीकर्कशुक्रवार, अगस्त 24, 2063मंगलवार, फ़रवरी 5, 2064अस्त
27साढ़े सातीमिथुनबुधवार, फ़रवरी 6, 2064शुक्रवार, मई 9, 2064शिखर
28साढ़े सातीकर्कशनिवार, मई 10, 2064सोमवार, अक्टूबर 12, 2065अस्त
29साढ़े सातीकर्कगुरुवार, फ़रवरी 4, 2066शुक्रवार, जुलाई 2, 2066अस्त
30छोटी पनौतीकन्यागुरुवार, अगस्त 30, 2068मंगलवार, नवम्बर 4, 2070
31छोटी पनौतीमकररविवार, जनवरी 15, 2079शुक्रवार, अप्रैल 11, 2081
32छोटी पनौतीमकररविवार, अगस्त 3, 2081मंगलवार, जनवरी 6, 2082
33साढ़े सातीवृषरविवार, जुलाई 18, 2088शनिवार, अक्टूबर 30, 2088उदय
34साढ़े सातीवृषबुधवार, अप्रैल 6, 2089सोमवार, सितम्बर 18, 2090उदय
35साढ़े सातीमिथुनमंगलवार, सितम्बर 19, 2090मंगलवार, अक्टूबर 24, 2090शिखर
36साढ़े सातीवृषबुधवार, अक्टूबर 25, 2090रविवार, मई 20, 2091उदय
37साढ़े सातीमिथुनसोमवार, मई 21, 2091गुरुवार, जुलाई 2, 2093शिखर
38साढ़े सातीकर्कशुक्रवार, जुलाई 3, 2093गुरुवार, अगस्त 18, 2095अस्त
39छोटी पनौतीकन्याशनिवार, अक्टूबर 12, 2097शुक्रवार, मई 2, 2098
40छोटी पनौतीकन्याशुक्रवार, जून 20, 2098शुक्रवार, दिसम्बर 25, 2099
41छोटी पनौतीकन्यागुरुवार, मार्च 18, 2100गुरुवार, सितम्बर 16, 2100
42छोटी पनौतीमकरशनिवार, फ़रवरी 25, 2108शनिवार, जुलाई 28, 2108
43छोटी पनौतीमकरशुक्रवार, नवम्बर 23, 2108सोमवार, फ़रवरी 16, 2111

साढ़े साती का पहला चरण – उदय चरण

इस चरण में शनि आपकी चंद्र राशि से 12वें भाव में वृषभ राशि में गोचर करेगा। यह साढ़े साती का आरम्भिक चरण होता है जिसे उदय चरण भी कहते है। मिथुन राशि के लिए यह चरण सकारात्मक होगा, क्योंकि शनि वृष राशि के स्वामी ग्रह शुक्र से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है। यह काल जातक के लिए अपेक्षाकृत लाभदायक और कम कष्टदाई होगा। जातक को आर्थिक लाभ, आय में वृद्धि होगा। आप शानदार जीवन शैली पर खर्च करेंगे, आपका महिलाओं के साथ जुड़ाव महसूस करेंगे। इस समय आपके आय में वृद्धि होगी और आप धन अर्जित करना चाहेंगे। हालांकि आपको विश्वासघात का सामना करना पड़ सकता है और आपके कई रिश्ते टूट सकते है। जिससे आपको तनाव, डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जिससे मिथुन राशि के लिए साढ़े साती का पहला चरण सकारात्मक साबित होता है।

क्या करें:

  • खर्चों पर नियंत्रण रखें।
  • जोखिम भरे निर्णयों से बचें।
  • मेहनत को अपना हथियार बनाएं।
  • धैर्य रखे और सही समय का इंतजार करे।
  • खाद्य पदार्थ का दान करे।

साढ़े साती का दूसरा चरण – शिखर चरण

जब शनि आपकी चंद्र राशि (पहले भाव) में गोचर करता है तो साढ़े साती का दूसरा चरण प्रारंभ होता है जिसे शिखर चरण भी कहते है। सामान्यतः यह सबसे कठिन चरण होता है लेकिन मिथुन राशि के लिए यह चरण सकारात्म और लाभदायक रहेगा। दूसरे चरण में शनि आपकी जन्म राशि (मिथुन) में गोचर करता है। जातक को छोटी यात्राओं का लाभ होगा, आपकी बौद्धिक क्षमता, तार्किक क्षमता में वृद्धि होगी। सीखने और अध्ययन में आपकी रुचि बढ़ेगी। आर्थिक मोर्चे पर वृद्धि, संतान सुख मिलेगा। कार्य के दबाव में थोड़ी मानसिक अशांति, क्रोध का सामना करना पड़ेगा। इस चरण में शनि जन्म के चंद्रमा के साथ होता है, जो स्वास्थ और घरेलू समस्याओं को जन्म देता है।

क्या करें:

  • मानसिक शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए नियमित योग और ध्यान करें।
  • स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और व्यायाम अवश्य करे।
  • दूसरों की बातों से जल्दी आवेशित न हों।
  • इस समय धैर्य रखे और संतोषपूर्वक स्थिति को समझने की कोशिश करे।
  • शनि मंत्र का जाप या शनिवार को दान करें।
  • अपने रिलेशन के प्रति ज्यादा सचेत रहे और किसी भी गलतफहमी को बात कर सुलझाए।

साढ़े साती का तीसरा चरण – अस्त चरण

यह साढ़े साती का अंतिम चरण होगा जिससे इसे अस्त चरण भी कहते है। इस चरण में शनि जन्म के चंद्र से दूसरे भाव में यानी कर्क राशि में गोचर करेगा, जो शनि का शत्रु ग्रह है जो विष योग बनाता है। इस वक्त आपको अनावश्यक यात्राएं करने पड़ेगी, आर्थिक हानि, और खर्च बढ़ सकते है। शत्रुओं से विवाद बढ़ेगा। यह काल खंड खतरे को भी दर्शाता है इसलिए गाड़ी चलाते वक्त विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। इस काल में अचानक वित्तीय हानि का सामना करना पड़ सकता है। विद्यार्थियों के लिए यह नकारात्मक प्रभाव डालेगा इसलिए विद्यार्थी को थोड़े और परिश्रम करना चाहिए, ताकि वो अपनी पिछली स्थिति बनाए रख सके।

क्या करें:

  • अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें।
  • फिजूल खर्च से बचें।
  • मन और स्वभाव को शांत रखने के लिए योग और ध्यान करे।
  • अपने परिवार और रिश्तों में समरसता और स्पष्टता बनाए रखें।
  • वाहन सावधानी से चलाएं और जोखिम से बचें।
  • मांस मदिरा के सेवन से बचे।
  • शनि को प्रसन्न करने के उपाय करे।

मिथुन राशि साढ़े साती के लिए शुभ उपाय:

  • शनिवार को काली उड़द, तिल या लोहे से बनी वस्तु का दान करें।
  • प्रतिदिन शनि मंत्र “ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः” का जप करे।
  • हनुमान चालीसा के साथ बजरंग बाण का पाठ करें, क्योंकि मंगल हनुमान जी के कारक हैं।
  • शनिदेव के मंदिर जाकर दीपक जलाएं।
  • 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करे।
  • शनि रत्न नीलम को अंगूठी में धारण करे।
  • कौवों और गयो को भोजन खिलाए।
  • मांसाहार और नशे से दूर रहें।

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