
हिंदू धर्म में देवी पार्वती को शक्ति और सृजन का प्रतीक माना जाता है। वह भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और माता सती का ही दूसरा अवतार मानी जाती हैं। देवी पार्वती की कृपा पाने के लिए भक्त कई स्तोत्रों और मंत्रों का पाठ करते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है “(Parvati Panchak Stotra) पार्वती पंचक स्तोत्र”। यह स्तोत्र देवी पार्वती की कृपा प्राप्त करने का एक सरल उपाय है।
पार्वती पंचक स्तोत्र क्या है?
“पंचक” का अर्थ है “पाँच” और “स्तोत्र” का अर्थ है “स्तुति”। इस प्रकार, पार्वती पंचक स्तोत्र देवी पार्वती की पाँच श्लोकों में की गई स्तुति है। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इसमें देवी के गुणों, रूपों, शक्ति, और कृपा का वर्णन किया गया है।
पार्वती पंचक स्तोत्र का महत्व या लाभ
- देवी की कृपा प्राप्ति: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करती हैं।
- विवाह और सुखद दांपत्य जीवन: कुंवारी कन्याएं इस स्तोत्र का पाठ करके अच्छे वर की प्राप्ति कर सकती हैं, जबकि विवाहित स्त्रियाँ सुखी दांपत्य जीवन के लिए इसका पाठ करती हैं।
- प्रेम विवाह: प्रेम विवाह को पूर्ण करने के लिए Parvati Panchak Stotra बहुत प्रभावशाली है। यह विवाह संयोग में आने वाले बाधा को दूर कर शीघ्र विवाह संयोग बनाने में कारगर है।
- संकटों से मुक्ति: यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा और संकटों को दूर करने में सहायक माना जाता है।
- मानसिक शांति: इसके पाठ से मन को शांति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- पारिवारिक सुख शांति: पार्वती पंचक स्तोत्र का नियमित पाठ करने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है और गृह क्लेश, नकारात्मक शक्तियां सदा दूर रहते है।
- दरिद्रता और निर्धनता से मुक्ति: मां पार्वती पंचक स्तोत्र का पाठ करने से घर धन धान्य से भर जाता है और दरिद्रता घर के आस पास भी नहीं भटकती।
Parvati Panchak Stotra Lyrics (संस्कृत और हिंदी अर्थ सहित)
🌺 श्लोक 1:
धराधरेन्द्र नंदिनी शशांक मौलि संगिनी
सुरेशशक्ति वर्धिनी नितांतकान्त कामिनी ।
निशाचरेन्द्र मर्दिनी त्रिशूल शूल धारिणी
मनोव्यथा विदारिणी शिवम् तनोतु पार्वती ॥
अर्थ:
जो पार्वती पर्वतराज की पुत्री हैं, चंद्रमा जिनके शिर पर सुशोभित है, देवताओं की शक्ति को बढ़ाने वाली हैं, अति सुंदर और आकर्षक हैं, राक्षसों का नाश करने वाली हैं, त्रिशूल धारण करने वाली हैं, और मन की पीड़ा को दूर करने वाली हैं — ऐसी माता पार्वती हमें कल्याण प्रदान करें।
🌺 श्लोक 2:
भुजंगतल्प शायिनी महोग्रकान्त भामिनी
प्रकाश पुंज दामिनी विचित्रचित्र कारिणी ।
प्रचण्ड शत्रु धर्षिणी दया प्रवाह वर्षिणी
सदा सुभाग्यदायिनी शिवम् तनोतु पार्वती ॥
अर्थ:
जो सर्पों की शय्या पर शयन करती हैं, अत्यंत तेजस्वी और सुंदर हैं, प्रकाश की देवी हैं, अद्भुत सृजन करने वाली हैं, प्रबल शत्रुओं को पराजित करने वाली हैं, दया की वर्षा करने वाली हैं, और हमेशा सौभाग्य देने वाली हैं — ऐसी माता पार्वती हमें शिवमय जीवन प्रदान करें।
🌺 श्लोक 3:
प्रकृष्ट सृष्ट कारिका प्रचण्ड नृत्य नर्तिका
पिनाक पाणि धारिका गिरीश शृंग मालिका ।
समस्त भक्त पालिका पीयूष पूर्ण वर्षिका
कुभाग्य रेख मार्जिका शिवम् तनोतु पार्वती ॥
अर्थ:
जो संपूर्ण सृष्टि की रचयिता हैं, प्रचंड तांडव नृत्य करती हैं, शिव के धनुष ‘पिनाक’ को धारण करती हैं, पर्वतराज की राजकुमारी हैं, समस्त भक्तों की रक्षक हैं, अमृतवर्षा करने वाली हैं, और दुर्भाग्य की रेखाओं को मिटा देने वाली हैं — वही माता पार्वती कल्याण करें।
🌺 श्लोक 4:
तपश्चरी कुमारिका जगत्परा प्रहेलिका
विशुद्ध भावसाधिका सुधा सरित्प्रवाहिका
प्रयत्न पक्ष पोषिका सदार्थि भाव तोषिका
शनि ग्रहादि तर्जिका शिवम् तनोतु पार्वती ॥
अर्थ:
जो तपस्विनी हैं, ब्रह्मचारी कन्या हैं, जगत की सबसे बड़ी रहस्यरूपा हैं, शुद्ध भक्ति की साधिका हैं, अमृतसरीखा ज्ञान प्रवाहित करती हैं, प्रयास करने वालों को फल देती हैं, भक्तों को संतोष देती हैं, और शनि ग्रह आदि के दोषों को दूर करती हैं — वे माता पार्वती सबका कल्याण करें।
🌺 श्लोक 5:
शुभंकरी शिवंकरी विभाकरी निशाचरी
नभश्चरी धराचरी समस्त सृष्टि संचरी ।
तमोहरी मनोहरी मृगांक मौलि सुन्दरी
सदा ग्रता संचरी शिवम् तनोतु पार्वती ॥
अर्थ:
जो शुभ और शिव दोनों देने वाली हैं, रात्रि और आकाश में विचरण करने वाली हैं, संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं, अंधकार का नाश करने वाली हैं, मन को मोहित करने वाली हैं, चंद्रमा को मस्तक पर धारण करने वाली हैं — वही माता पार्वती हमें कल्याण प्रदान करें।
🌺 फलश्रुति (अंतिम दो श्लोक):
पार्वती पंचकं नित्यम् धेते यत् कुमारिका ।
दुष्कृतम् निखिलं हत्वा वरं प्राप्नोति सुंदरम्॥
अर्थ:
जो कन्या (या भक्त) प्रतिदिन इस पार्वती पंचक स्तोत्र का पाठ करती है, वह अपने सारे पापों का नाश कर सुंदर वर (पति या मनवांछित फल) प्राप्त करती है।
हे गौरि! शंकरार्धांगी! यथा त्वं शंकर प्रिया ।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्॥
अर्थ:
हे गौरि! आप जैसे शिवजी की अर्धांगिनी हैं और उनकी प्रिय हैं, उसी प्रकार मुझे भी ऐसा पति प्रदान करें जो दुर्लभ और प्रिय हो — कल्याणकारी हो।
पार्वती पंचक स्तोत्र पाठ की विधि
- समय: इस स्तोत्र का पाठ सुबह या शाम के समय करना शुभ माना जाता है। तथा नवरात्रि, सोमवार, या श्रावण मास में इस स्तोत्र का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
- स्थान: पवित्रता का ध्यान रखते हुए मंदिर या घर के पूजा स्थल पर बैठकर पाठ करें।
- आसन: स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण कर, आसन पर बैठकर देवी पार्वती का ध्यान करें।
- पूजा सामग्री: दीपक, अगरबत्ती, फूल और मिष्ठान (अपनी सामर्थ्य अनुसार) अर्पित करें।
- पाठ विधि: विभिन्न कामनाओं की पूर्ति हेतु Parvati Panchak Stotra का 11, 21 या 108 बार पाठ करें।
विभिन्न उद्देश्यों हेतु स्तोत्र पाठ विधि
प्रेम विवाह | विवाह संयोग बनना
यदि आपके प्रेम विवाह में बाधाएं आ रही है या आपका विवाह संयोग नहीं बन रहा, आपके विवाह प्रस्ताव बार बार टूट रहे है तो आपके लिए पार्वती पंचक स्तोत्र कारगर सिद्ध होगा। इसके लिए आपको स्नान कर प्रतिदिन शिव मंदिर में Parvati Panchak Stotra का 108 बार पाठ करना चाहिए, ऐसा करने से आपके विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर होजाएगी और बहुत जल्द ही इसका असर आपको दिखाने लगेगा।
माँ पार्वती शिव शक्ति, शिव की अर्धांगिनी है। माँ पार्वती की पूजा आराधना करने से माँ भगवती के साथ साथ शिव भी प्रसन्न होते है और लोगो के मनचाहे फल को पूरा करते है।
निष्कर्ष
पार्वती पंचक स्तोत्र देवी पार्वती की भक्ति का एक सरल और प्रभावशाली माध्यम है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को देवी की कृपा, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यदि आप देवी पार्वती की कृपा चाहते हैं, तो इस स्तोत्र को अपनी दैनिक पूजा में शामिल करें।
“जय माता पार्वती!”